जैशंकर का UNGA भाषण
27 सितंबर 2025 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के सामान्य सत्र में भारत के विदेश मंत्री एस. जैशंकर ने एक तेज़ और स्पष्ट बयान दिया। उन्होंने बिना पाकिस्तान का नाम ले सीधे संकेत किया कि दक्षिण एशिया की इस सीमा के पास स्थित देश विश्व स्तर पर आतंकवाद का प्रमुख केंद्र है। जैशंकर ने कहा कि भारत ने आजादी के बाद से ही इस खतरे का सामना किया है, और बड़े‑बड़े अंतरराष्ट्रीय हमलों की जड़ अक्सर उस एक देश में खोजी गई है।
वह पहल्गाम में अप्रैल 2025 में हुए अत्याचार को सबसे नया उदाहरण बताकर कहा कि यह ‘सीमा‑पार क्रूरता’ का प्रत्यक्ष प्रमाण है। इस हमले में कई विदेशी पर्यटक मारे गये थे, और भारत ने तुरंत उन पर कार्रवाई करते हुए मुख्य गूँजकारी और सहयोगियों को न्याय के कटघरे में लाया। विदेश मंत्री ने सभी देशों से अपील की कि जब कोई राष्ट्र आतंकी कार्य को सरकारी नीति बना लेता है, तो उसे दृढ़ता से निंदा किया जाना चाहिए।
जैशंकर ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों को भी कहा कि आतंकवाद के वित्तीय स्रोतों को काटना अब भी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यूएन की आतंकवादी सूची में कई लोगों का नाम उस अनाम देश से जुड़ा हुआ है, और इस सूची को अपडेट करने में पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सक्रिय रहना चाहिए।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और भारत का जवाब
जैशंकर के बयान के बाद शाम के सत्र में पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने ‘राइट ऑफ रिप्लाई’ माँगा। उन्होंने कहा कि भारत ने बिना सबूत के पाकिस्तान को बदनाम करने की कोशिश की है और यह एक ‘ज़हरी’ आरोप है। उन्होंने आगे कहा कि भारत के ये आरोप ‘इरादतन झूठ’ हैं, जबकि वास्तव में भारत ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया था।
भारत के प्रतिनिधि ने तुरंत ही इस बात को उजागर किया कि पाकिस्तान ने खुद से ही जवाब दिया है, इसलिए उनके शब्द बिना नाम बताए भी यह स्वीकार करते हैं कि वह एक ऐसे देश से जुड़े हैं जो सीमा‑पार आतंकवाद को बढ़ावा देता है। इस प्रतिक्रिया को भारत ने पाकिस्तान की ‘लंबे समय से चलती हुई’ आतंकवादी नीति की एक दुबारा पुष्टि माना।
इस राजनयिक तलवारबाज़ी ने फिर से दिखा दिया कि दोनों देशों के बीच आतंकवाद को लेकर मतभेद अभी भी बहुत गहरे हैं। भारत निरंतर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के इस सहयोगी स्वर को उजागर करता आ रहा है, जबकि पाकिस्तान अपने पक्ष को बचाने के लिए मीडिया और कूटनीति दोनों में तेज़ी से प्रतिक्रिया देता है।
UNGA के इस मंच पर हुई यह बहस यह स्पष्ट करती है कि शब्दों की सूक्ष्मता और रणनीतिक चुनाव कैसे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में उपयोग होते हैं। भारत ने अपनी सुरक्षा चिंताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाते हुए, विशिष्ट नाम न लेकर भी आवश्यक संकेत दे दिया। वहीं पाकिस्तान की तीव्र प्रतिक्रिया ने यह संकेत दिया कि वह इस तरह के अप्रत्यक्ष आरोपों को भी स्वीकार नहीं करना चाहता।
भविष्य में भी इस तरह की कूटनीतिक टकरावें संभव हैं, क्योंकि दोनों राष्ट्रों के बीच सीमापार आतंकवाद, जल विवाद और अन्य सुरक्षा मुद्दे अभी भी अनसुलझे हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह जरूरी है कि वह शांति व सहिष्णुता को बढ़ावा देने के साथ-साथ आतंकवाद की जड़ तक पहुँचने वाले स्रोतों को भी कड़ी नजर रखे।