कानूनी और न्यायिक CIA के पूर्व अधिकारी ने खान के परमाणु तस्करी नेटवर्क का खुलासा किया, कहा 'मौत का सौदागर'

CIA के पूर्व अधिकारी ने खान के परमाणु तस्करी नेटवर्क का खुलासा किया, कहा 'मौत का सौदागर'

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जब जेम्स लॉलर, सीआइए के पूर्व काउंटर-प्रोलिफरेशन डिवीजन के प्रमुख, ने एएनआई को बताया कि उन्होंने दुनिया के सबसे खतरनाक परमाणु तस्करी नेटवर्क को उजागर किया, तो यह सिर्फ एक ऐतिहासिक खुलासा नहीं था—यह एक ऐसा दस्तावेज था जो अमेरिकी विदेश नीति के झूठे समझौतों को उजागर करता है। लॉलर ने अब्दुल कादिर खान को 'मौत का सौदागर' कहा, और उनके नेटवर्क की विस्तृत जानकारी दी, जिसमें लीबिया, ईरान और चीन शामिल थे। यह खुलासा 2000 के दशक के बाद सबसे बड़ा परमाणु सुरक्षा रहस्य है, जो आज भी दक्षिण एशिया की सुरक्षा व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है।

कैसे उजागर हुआ खान का नेटवर्क?

लॉलर ने बताया कि सीआइए को पहले तो लगा कि खान केवल पाकिस्तान के लिए परमाणु बम बना रहे हैं। लेकिन 1998 के बाद, जब पाकिस्तान ने परमाणु परीक्षण किए, तो अमेरिकी जासूसी टीमों ने एक अजीब बात देखी—कुछ तकनीकें जो सिर्फ पाकिस्तान में होनी चाहिए थीं, वे लीबिया और ईरान में भी दिखने लगीं। तब लॉलर की टीम ने बीबीसी चाइना नामक जहाज को रोका, जिसमें परमाणु सेंट्रीफ्यूज के पुर्जे छिपे थे। यह एक ऐसा लम्हा था जब अमेरिका को पता चला कि खान सिर्फ वैज्ञानिक नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय तस्कर थे।

परवेज मुशर्रफ को क्या दिखाया गया?

लॉलर ने खुलासा किया कि सीआइए के तत्कालीन निदेशक जार्ज टेनेट ने व्यक्तिगत रूप से परवेज मुशर्रफ को एक फाइल दिखाई, जिसमें खान के नेटवर्क के लेन-देन के ब्यौरे, ईमेल, ट्रांसफर रसीदें और बैंक लेनदेन शामिल थे। मुशर्रफ गुस्से में आ गए और बोले, 'मैं उस कुत्ते को मार दूंगा।' लेकिन उन्होंने खान को नहीं गिरफ्तार किया। बल्कि उन्हें घरेलू नजरबंदी में रख दिया—एक ऐसा निर्णय जिसने अमेरिका को शांति का झूठा अहसास दिया।

ईरान और लीबिया: नेटवर्क के अन्य शिकंजे

खान का नेटवर्क बस पाकिस्तान तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने लीबिया के नेता मुअम्मर गद्दाफी को P-1 और P-2 सेंट्रीफ्यूज के डिजाइन भेजे, जिनकी वजह से गद्दाफी ने अपना परमाणु कार्यक्रम छोड़ दिया। ईरान ने भी खान के डिजाइन का इस्तेमाल किया—यह आज तक ईरान के यूरेनियम समृद्धिकरण के आधार हैं। लॉलर ने कहा, 'ईरान के लिए जो दबाव है, वही पाकिस्तान के लिए नहीं है। और वो अंतर दुनिया को खतरे में डाल रहा है।'

पाकिस्तान की आधिकारिक नीति थी या जनरलों की मिलीभगत?

पाकिस्तान की आधिकारिक नीति थी या जनरलों की मिलीभगत?

लॉलर ने स्पष्ट किया कि खान के नेटवर्क के पीछे 'पाकिस्तान की आधिकारिक नीति' नहीं थी—लेकिन कुछ जनरल और नेता उसके 'पेरोल' पर थे। यानी वे जानते थे, लेकिन चुप रहे। यह एक ऐसा नेटवर्क था जहां सैन्य और खुफिया एजेंसियां अपने लाभ के लिए न्यूक्लियर तकनीक का व्यापार कर रही थीं। लॉलर के अनुसार, यह 'एक ऐसा अंधेरा अंग' था जिसे पाकिस्तान ने आज तक नहीं छूआ।

अमेरिका की दोहरी मानक नीति

यही बात लॉलर के लिए सबसे ज्यादा दर्द भरी है। उन्होंने कहा, 'हमने ईरान के लिए सब कुछ किया—प्रतिबंध, अंतरराष्ट्रीय दबाव, तकनीकी निगरानी। लेकिन पाकिस्तान के लिए? नहीं। क्योंकि हमें अफगानिस्तान में उनकी मदद चाहिए थी।' अफगानिस्तान युद्ध के बाद जब अमेरिका ने पाकिस्तान को अपना विश्वासपात्र बना लिया, तो उसने खान के नेटवर्क को देखने से इंकार कर दिया। लॉलर कहते हैं, 'यह नीति आज बहुत महंगी साबित हो रही है।'

भारत के साथ रिश्ते: एक नई राह?

भारत के साथ रिश्ते: एक नई राह?

लॉलर ने एक अनपढ़ निष्कर्ष निकाला: अमेरिका को भारत के साथ अधिक गहरा रिश्ता बनाना चाहिए। 'भारत एक विश्वसनीय डीएनए है,' उन्होंने कहा। 'उन्होंने कभी परमाणु तस्करी नहीं की। उनका कार्यक्रम पारदर्शी है।' उनका तर्क है कि अगर अमेरिका भारत को अपना प्राथमिक साझेदार बना ले, तो दक्षिण एशिया में न्यूक्लियर असंतुलन को संभाला जा सकता है। यह एक ऐसा सुझाव है जो विदेश नीति के आधार को ही बदल सकता है।

आज क्या है खतरा?

खान को 2004 में नजरबंद किया गया, लेकिन उनकी तकनीक अभी भी दुनिया में घूम रही है। ईरान के पास अब 60% समृद्ध यूरेनियम है। उत्तर कोरिया के पास भी खान के डिजाइन के समान सेंट्रीफ्यूज हैं। और अगर एक दिन पाकिस्तान के न्यूक्लियर अस्त्रों में से कोई भी अवैध रूप से अन्य देशों में जाता है—तो लॉलर का चेतावनी का संदेश अब भी जीवित है: 'अगर कार्रवाई नहीं होती, तो खतरा बहुत बड़ा होता।'

Frequently Asked Questions

क्या अब्दुल कादिर खान को कभी न्याय का सामना करना पड़ा?

नहीं, खान को कभी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में नहीं लाया गया। पाकिस्तान ने उन्हें घरेलू नजरबंदी में रख दिया, और उन्हें राष्ट्रीय नायक के रूप में सम्मानित किया गया। उनकी मृत्यु 2021 में हुई, बिना किसी अंतरराष्ट्रीय जांच के। यही वजह है कि लॉलर कहते हैं कि यह एक 'अधूरा न्याय' है।

ईरान के परमाणु कार्यक्रम में खान का क्या योगदान था?

खान के नेटवर्क ने ईरान को P-1 और P-2 सेंट्रीफ्यूज के डिजाइन, उनके निर्माण के लिए तकनीकी दस्तावेज और कुछ अहम पुर्जे भेजे। यही डिजाइन आज ईरान के यूरेनियम समृद्धिकरण के आधार हैं। अंतरराष्ट्रीय अणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने भी पुष्टि की है कि ईरान के सेंट्रीफ्यूज खान के डिजाइन से मेल खाते हैं।

CIA ने खान के नेटवर्क को रोकने के लिए क्या तकनीकी कार्रवाई की?

CIA ने सेंट्रीफ्यूज के लिए इस्तेमाल होने वाली विशेष धातुओं और इलेक्ट्रॉनिक्स पर निगरानी बढ़ाई। उन्होंने तकनीकी छेड़छाड़ की—जैसे बेचे जाने वाले घटकों में फ़ेक डिजाइन डालना, या तकनीकी दस्तावेजों में गलत डेटा डालना। इससे लीबिया और ईरान के प्रोग्राम में देरी हुई।

क्या पाकिस्तान आज भी परमाणु तस्करी कर रहा है?

कोई सीधा सबूत नहीं है, लेकिन लॉलर और अन्य विश्लेषकों का मानना है कि खान के नेटवर्क की तकनीक अभी भी अवैध रूप से फैल रही है। उत्तर कोरिया और कुछ अफ्रीकी देशों में खान के डिजाइन के अवशेष मिले हैं। जब तक पाकिस्तान की सैन्य एलीट इस मामले में पारदर्शिता नहीं लाएगी, तब तक खतरा बना रहेगा।

अमेरिका को भारत के साथ रिश्ता क्यों मजबूत करना चाहिए?

क्योंकि भारत एकमात्र दक्षिण एशियाई देश है जिसने कभी परमाणु तकनीक की तस्करी नहीं की। भारत ने अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन किया, और अमेरिका के साथ नागरिक परमाणु समझौता भी किया। लॉलर के अनुसार, भारत को अमेरिकी विदेश नीति का आधार बनाने से पाकिस्तान के खिलाफ अनुचित द्विमानकता को समाप्त किया जा सकता है।

इस खुलासे से पाकिस्तान के न्यूक्लियर सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

इस खुलासे ने पाकिस्तान के न्यूक्लियर सुरक्षा प्रणाली की अस्थिरता को उजागर किया है। अगर एक वैज्ञानिक अपने देश के न्यूक्लियर सीक्रेट्स बेच सकता है, तो क्या उनके सुरक्षा बंदों का विश्वास किया जा सकता है? यह सवाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब भी बना हुआ है।

लेखक के बारे में

आर्य बालकृष्ण

मेरा नाम आर्य बालकृष्ण है। मैं न्यूज़ और राजनीति में माहिर हूं और स्पोर्ट्स और हेल्थकेयर के बारे में लिखने का शौक रखता हूं। मैं अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए विभिन्न मंचों पर लेख और समीक्षा लिखता हूं। मैं लगातार नई जानकारी और रुझानों को समझने के प्रयास में रहता हूं। मेरा उद्देश्य लोगों को सही और विस्तृत जानकारी प्रदान करना है।