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यूजीसी ने विश्वविद्यालयों में जुलाई सत्र से ऑनलाइन डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा यूजीसी काउंसिल की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में तय हुआ कि उच्च शिक्षण संस्थानों में एमफिल व पीएचडी में दाखिले के दौरान एससी/एसटी छात्रों को पांच फीसदी अंक की छूट मिलेगी।
अब तक दाखिले के लिए उनके 50 फीसदी अंक होने जरूरी थे। जिन संस्थानों का नैक एक्रीडिटेशन स्कोर 3.26 से 4 है, वे ऑनलाइन पढ़ाई कराने के लिए आवेदन कर सकते हैं। साथ ही एनआईआरएफ के तहत शीर्ष 100 ओवरऑल कैटेगरी वाले संस्थान भी आवेदन भेज सकते हैं। ऑनलाइन डिग्री प्रोग्राम यूजीसी के सामान्य डिग्री प्रोग्राम की तर्ज पर होगा।

उच्च शिक्षण संस्थान ऑनलाइन प्रोग्राम के तहत यूजी, पीजी डिग्री, सर्टिफिकेट, डिप्लोमा की पढ़ाई करा सकेंगे। इसमें ऑनलाइन प्रोग्राम भी शामिल होगा। ऑनलाइन डिग्री प्रोग्राम में अगर कोई नियम तोड़ेगा तो उस पर पुलिस में मामला दर्ज किया जा सकेगा। दाखिले के दौरान आधार और पासपोर्ट की जरूरत पड़ेगी।

छह विश्वविद्यालयों को ग्रेडेड अटॉनमी

छह डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी को ग्रेडेड अटॉनमी का दर्जा दिया गया है। इनमें राजस्थान के पिलानी में बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, मध्य प्रदेश के ग्वालियर में लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन, मुंबई का टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च और दिल्ली के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फोरन ट्रेड्स समेत अन्य विश्वविद्यालय शामिल हैं।

डीयू के कॉलेजों को स्वायत्तता देने से पहले कानूनी राय

यूजीसी काउंसिल की बैठक में तय हुआ है कि डीयू के किसी भी कॉलेज को स्वायत्तता देने से पहले कानूनी पहलुओं पर राय ली जाएगी कि क्या डीयू एक्ट के तहत स्वायत्तता दी जा सकती है।
डूटा का यूजीसी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन, कॉलेजों को स्वायत्त बनाने की योजना का किया विरोध
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ( डूटा) ने बृहस्पतिवार को यूजीसी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। संघ के सदस्य सेंट स्टीफंस व हिंदू कॉलेज को स्वायत्त संस्थान घोषित करने के यूजीसी की योजना का विरोध कर रहे थे। इस प्रदर्शन में डीयू समेत विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, छात्रों के साथ-साथ जेएनयू शिक्षक संघ अध्यक्ष ने भी हिस्सा लिया।

डूटा अध्यक्ष राजीब रे के अनुसार, 24 मई को प्रस्तावित यूजीसी फुल कमीशन मीटिंग के महत्वपूर्ण एजेंडों में एक मामला स्वायत्तता का था। लेकिन बृहस्पतिवार सुबह यूजीसी के कुछ अधिकारियों ने बताया कि इस मसले को यूजीसी ने मीटिंग के प्रस्तावित अजेंडे से हटा लिया है। राजीब का कहना था कि लगातार विरोध व संघर्ष के कारण यूजीसी को अंतिम क्षण में फैसला बदलना पड़ा।

हालांकि, इस बात की गारंटी नहीं है कि सरकार संस्थानों को निजीकरण की ओर नहीं धकेलेगी। डीयू एवं संबद्ध कॉलेजों को स्थापित करते समय ही विशेष अधिनियमों व प्रावधानों के तहत स्वायत्त संस्था का दर्जा प्राप्त है। वहीं, डूटा ने सरकार से पांच मार्च 2018 के आरक्षण विरोधी रोस्टर को वापस लेने की अपील की। उन्होंने कहा जब तक मांगी नहीं मानी जाएगी तक तक शिक्षक और छात्र प्रदर्शन करेंगे। सातवें वेतन आयोग की विसंगतियों को भी वापस लिया जाए।

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