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नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने कर्ज में डूबे जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) को करारा झटका दिया है। ट्रिब्यूनल की इलाहबाद पीठ ने जेपी एसोसिएट्स को उसकी अनुषांगिक कंपनी जेपी इंफ्राटेक से ली गई आगरा और अलीगढ़ जिलों की 759 एकड़ जमीन वापस लौटाने का आदेश दिया है। ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में इस जमीन के स्थानांतरण की प्रक्रिया को धोखाधड़ी और अपरिपक्व ठहराया है। ये जमीन स्थानांतरण जेपी इंफ्राटेक की दिवालियापन प्रक्रिया से जुड़ा हुआ माना जा रहा है।
एनसीएलटी की पीठ ने अपने निर्णय में जेपी ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी जेपी एसोसिएट्स को जमीन लौटाने और इस पर बना ब्याज भी आईसीआईसीआई बैंक समेत सभी कर्जदाताओं को चुकाने के निर्देश दिए हैं। ये निर्णय जेपी इंफ्राटेक की दिवालियापन प्रक्रिया के लिए ट्रिब्यूनल की तरफ से तैनात रेजोल्यूशन प्रोफेशनल (आरपी) अनुज जैन की याचिका पर दिया गया है, जिसमें एनसीएलटी से कंपनी प्रमोटरों की तरफ से 858 एकड़ जमीन को जेएएल को कर्ज के बदले सिक्योरिटी के तौर पर बंधक रखने के लिए किए गए लेन-देन पर निर्देश मांगा गया था।

100 एकड़ जमीन को निर्णय के दायरे से बाहर रखा

अपने 77 पेज के निर्णय में सरोज राजवाड़े और वीपी सिंह की दो सदस्यीय पीठ ने उत्तर प्रदेश के आगरा और अलीगढ़ की 759 एकड़ जमीन के छह टुकड़ों को चिह्नित किया है। पीठ ने हालांकि 858 एकड़ जमीन में से अलीगढ़ जिले में मौजूद 100 एकड़ जमीन का लेन-देन जेपी इंफ्राटेक की कारपोरेट दिवालिया संकल्प प्रक्रिया (सीआईआरपी) के शुरू होने से पहले का होने के चलते उसे छोड़ दिया है।
सूत्रों के अनुसार, वर्तमान बाजार भाव के आधार पर एनसीएलटी के इस निर्देश के बाद जेपी इंफ्राटेक को वापस मिलने वाली 759 एकड़ जमीन की कुल कीमत 1500 से 2000 करोड़ रुपये तक होने के चलते उसकी कुल संपत्ति में भारी बढ़ोतरी हो जाएगी। बता दें कि जेपी इंफ्राटेक ने ही नोएडा-आगरा को जोड़ने वाले यमुना एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया है।

पिछले साल शुरू हुई थी दिवालियापन की प्रक्रिया

एनसीएलटी ने पिछले साल आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व वाले एक समूह की याचिका पर जेपी इंफ्राटेक के दिवालियापन की प्रक्रिया शुरू की थी। इसके लिए ही अनुज जैन को आरपी के तौर पर बैठाया गया था। बाद में जैन ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अटके पड़े जेपी इंफ्राटेक के रियल एस्टेट प्रोजेक्टों को पूरा करने और इस कंपनी का अधिग्रहण करने के लिए निवेशकों से बोली लगाने को कहा था। लक्षद्वीप कंपनी की तरफ से जेपी इंफ्राटेक का अधिग्रहण करने के लिए 7350 करोड़ रुपये की बोली लगाई जा चुकी है। लेकिन मई के शुरू में लक्षद्वीप की बोली को खारिज कर दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट से है दिवालिया पर स्टेट

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई को जेएएल को 15 जून तक परेशान घूम रहे जेपी इंफ्राटेक के फ्लैट खरीदारों को रिफंड देने के लिए 1000 करोड़ रुपये शीर्ष न्यायालय की रजिस्ट्री में सिक्योरिटी के तौर पर जमा कराने का निर्देश दिया है। जिसके बाद जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया पर लगा स्टे जारी रहेगा।
– 9800 करोड़ रुपये का बैंकों की तरफ से कर्ज बकाया है।

– 4334 करोड़ रुपये अकेले आईडीबीआई बैंक का कर्ज है।

– 32000 फ्लैट बना रही है कंपनी, जिनमें से 9500 फ्लैट खरीददारों को दे चुकी है।

– 4500 फ्लैट का कब्जा ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट के लिए आवेदन के कारण अटका हुआ है।

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