कॉलेज द्वारा हिजाब ना पहनने देने की सख्ती पर एक छात्रा ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया। तीन साल कॉलेज प्रशासन से ये लड़ाई लड़ने के बाद भी अभी छात्रा को न्याय नहीं मिल सका है। साईं होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की छात्रा प्रथम वर्ष की परीक्षा नहीं दे पाई इसलिए उसने ये कदम उठाया। दरअसल छात्रा ने बीते साल 2016 में दिसंबर 14 को कॉलेज की प्रवेश परीक्षा पास कर दाखिला लिया। लेकिन पहले वर्ष की पढ़ाई जैसे ही 27 दिसंबर से शुरू हुई उसे हिसाब ना पहने की हिदायत दी गई।
शिकायतकर्ता के मुताबिक कॉलेज की सभी मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने से मना करते हुए कॉलेज के ड्रेस कोड को फॉलो करने की बात कही थी। छात्रा ने बताया कि उन्हें धमकी भी दी गई कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो उन्हें क्लास अटेंड नहीं करने दिया जाएगा। छात्रा ने बताया कि उसने और उसके परिजनों ने इस संबंध में कॉलेज प्रशासन से बात की लेकिन कॉलेज प्रशासन ने उनकी बात नहीं मानी। इसके बाद छात्रा समेत उसके परिजन अन्य शिक्षा कॉलेजों में भी गए लेकिन किसी ने उनके मजहबी तौर-तरीकों को अपनाने के पक्ष में उनका साथ नहीं दिया।
छात्रा द्वारा 11 जनवरी 2017 को आयुष मंत्रालय को इस बाबत चिट्ठी लिखी गई। जिस पर मंत्रालय ने साईं कॉलेज को फटकार लगाते हुए छात्रा को हिजाब पहनकर कॉलेज आने की स्वीकृति दी, बावजूद इसके कॉलेज प्रशासन ने लड़की को क्लास में बैठने तक नहीं दिया। इसके बाद 2 मार्च 2017 को लड़की के पिता ने चिकित्सा शिक्षा और औषधि विभाग को फिर एक चिट्ठी लिख इस घटना की जानकारी दी लेकिन साईं कॉलेज ने इसे भी नजरअंदाज किया।
थक हारकर पीड़ित ने महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय को इसकी जानकारी दी। जिस पर मामले की सुनवाई के लिए 15 मई 2017 का दिन तय किया गया। लेकिन साईं कॉलेज का एक भी नुमाइंदा इस सुनवाई में नहीं पहुंचा। जिसके बाद 2 जून 2017 को कॉलेज ने दलील दी कि ड्रेस कोड का पालन न किए जाने पर लड़की को कॉलेज नहीं आने दिया जा रहा है। इसके बाद कई सुनवाई टलती गईं और छात्रा का पूरा साल बर्बाद हो गया।
आखिरकार अब पीड़ित हाईकोर्ट पहुंची और पूरा मामला रखा। जहां कॉलेज अपनी बात से ही मुकर गया और साईं कॉलेज की वाकलत कर रहे वकील ने कहा कि छात्रा को हिजाब पहनने से मना ही नहीं किया गया। दरअसल छात्रा को बुरका पहनने से मना किया गया था। बहरहाल अभी मामले में कोई ठोस न्याय नहीं हो सका है। छात्रा अपने आरोप पर अड़ी है।