अस्पतालों की मनमानी रोकने के लिए देश में पहली बार दिल्ली सरकार ने रोक लगाने का फैसला लिया है। जिसके तहत दवाओं से लेकर सिरिंज और दस्ताने तक पर ज्यादा कीमतें नहीं ली जा सकेंगी। साथ ही अस्पताल का बिल न देने पर कोई भी शव को नहीं रोक सकेगा।
इतना ही नहीं, दिल्ली के हर निजी अस्पताल में मरीज को केंद्र सरकार की एनएलईएम दवाएं ही लिखनी होंगी। अगर कोई मरीज भर्ती हो रहा है तो उसे पैकेज से जुड़ी तमाम जानकारी देनी होगी। इलाज के दौरान दूसरे ऑपरेशन की जरूरत पड़ती है तो अस्पताल 50 फीसदी ही चार्ज ले सकते हैं।
अगर इमरजेंसी में आने के बाद किसी की छह घंटे में मौत हो जाती है तो अस्पताल 50 फीसदी ही बिल का भुगतान कराएगा। आपको बता दें कि देश के अन्य किसी भी राज्य में अभी तक अस्पतालों की लूट पर इस तरह के नियम लागू नहीं हुए हैं।
सोमवार को स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि अभी इन नियमों पर सार्वजनिक सलाह मांगी गई है। इसमें आम जनता से लेकर अस्पताल, डॉक्टर या संगठन अपनी राय दे सकते हैं। 30 दिन बाद इन सलाह पर विचार करने के बाद नियमों को लागू कर दिया जाएगा।
अगर कोई अस्पताल इन नियमों को नहीं मानता है तो सरकार उसका लाइसेंस तक निरस्त कर सकती है। मरीजों के लिए सरकार एक हेल्पलाइन भी लाने जा रही है, जहां अस्पतालों की शिकायतें दर्ज हो सकेंगी।
बता दें कि पिछले कुछ वर्षों से दिल्ली के अस्पतालों में मरीजों से इलाज के नाम पर लाखों रुपये लेने के आरोप लगते आए हैं। कभी बिल में दवाओं पर 1200 फीसदी का मुनाफा तो कभी सिरिंज और दस्ताने पर 500 फीसदी का फायदा।
इतना ही नहीं कई बार तो ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जिसमें अस्पताल में भर्ती होने के बाद मरीज का बिल कई लाख तक पहुंच जाता है। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का कहना है कि अब अस्पतालों की इस मनमानी को बर्दास्त नहीं किया जाएगा। इसके लिए सरकार दिल्ली नर्सिंग होम्स रजिस्ट्रेशन एक्ट 1953 के नियमों में संशोधन करने जा रही है।
लिखनी होगी एनएलईएम दवाएं
अब दिल्ली के किसी भी प्राइवेट अस्पताल नर्सिंग होम में मरीजों को एनएलईएम (आवश्यक दवाओं की सूची) दवाएं ही लिखनी होंगी। केंद्र सरकार की सूची में 376 तरह की दवाएं हैं। हर बीमारी की सबसे बेहतर गुणवत्ता वाली दवाएं ही इसमें शामिल हैं, जिनकी कीमतें सीजीएचएस रेट पर हैं।
अगर कोई डॉक्टर इन दवाओं को नहीं लिखता है तो इसकी वजह मरीज को बतानी होगी। अगर कोई अन्य दवा को लिखता है तो बिल में उन दवाओं पर 50 फीसदी से ज्यादा मुनाफा नहीं लिया जा सकता।
नहीं रोक सकेंगे शव, मरीज के लिए हाई रिस्क
मरीजों के लिए अस्पतालों में सरकार सबसे अहम बदलाव ये करने जा रही है कि दिल्ली में कोई भी अस्पताल बिल का भुगतान न होने पर शव नहीं रोक सकता। सरकार के मुताबिक बिल लेने या नहीं लेने से शव रोकने का कोई संबंध नहीं है।
सके अलावा सरकार हर अस्पताल में मरीजों के लिए हाई रिस्क कवर ला रही है। इसके तहत अगर किसी मरीज को भर्ती होने पर इलाज में एक लाख रुपये का खर्चा बताया जाता है तो अस्पताल 20 हजार रुपये अलग से हाई रिस्क कवर देंगे।
इसे लेने के बाद मरीज के इलाज में भले ही पांच लाख रुपये का खर्चा हो, मरीज को देना नहीं होगा। अस्पताल केवल पैकेज का 20 फीसदी ही हाई रिस्क ले सकते हैं। जरूरी बात है कि भर्ती होने से पहले ही अस्पताल और मरीज को इसे फाइनल करना होगा।
अस्पताल पर कैश बंद, डोनेशन का धंधा भी बंद
सरकार ने अस्पतालों को आदेश दिया है कि 20 हजार से ज्यादा का लेनदेन, वेतन या अन्य ऑर्डर कैश में नहीं दिया जाएगा। इससे ऊपर का पेमेंट चेक या फिर बैंक के जरिये ही हो सकेगा। इसके अलावा मरीज के बिल में डोनेशन या बिलिंग चार्ज के नाम पर लूटमार भी नहीं हो सकेगी।